चलिए सबसे पहले आपको हम गाजर की उन्नत किस्म के बारे में जानकारी दे देते हैं आपके जानकारी के लिए बता दे कि इन किस्म की खेती करके आप बहुत ही ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं अगर आप इस बीच गाजर की चैंटनी, नैनटिस, चयन नं- 223, पूसा रुधिर, पूसा मेघाली, पूसा जमदग्नि, पूसा केसर, हिसार रसीली और गाजर 29 आदि किस्में काफी मशहूर हैं. अगर आप इन किस्म की खेती करते हैं तो आपको डबल मुनाफा प्राप्त होने वाला है
चलिए अब आपको बताते हैं किसी खेती किस प्रकार की जाती है और कौन-कौन से महीने में इसकी खेती होती है तो आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि बुवाई के लिए अगस्त-अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है. इस बीच खेत तैयार करने के लिये 2 से 3 गहरी जुताई या लगाकर पाटा चलाया जाता है, जिससे मिट्टी को भुरभुरी बन जाये. इसके बाद मिट्टी की जांच के आधार पर 35 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट, 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश भी आपको इसमें की मिट्टी में से मिल सकता है इसकी खेती आप करके आप मालामाल हो सकते हैं
गाजर की खेती करके कमाओ लाखो, इन विशेष किस्मों की खेती करके प्राप्त होगा डबल मुनाफा
अगर आपने कभी किसी खेती की होगी तो आपको तो पता ही होगा कि अगर नहीं भी की तो हम आपको बता दे कि इसमें बहुत सारी कट और कीटाणु लग जाते हैं पर अब कीट-रोग और खरपतवारों की संभावनाओं को कम करने के लिये बीजों का उपचार करके बुवाई का काम किया जाता है. गाजर की बिजाई के लिये 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर डोलियां बनाई जाती हैं, जहां पौध से पौध की दूरी 6 से 8 सेंटीमीटर रखनी चाहिये. इस बीच 2 से 3 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनाकर इसके बीजों को लगाना चाहिए तभी इसकी खुद खेती आप अच्छे से कर पाएंगे
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अगर आप इसकी खेती कर रहे हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि इसके लिए आपको सिंचाई भी बहुत अच्छी तरीके से करना होगा चलिए हम आपको सिंचाई के बारे में बताते हैं आपको बता दे कि अगर आप सामान्य इलाकों में 5 से 6 सिंचाई में ही गाजर की फसल तैयार हो जाती है. इसके अलावा मिट्टी में नमी कायम रखने के लिये 15 से 20 दिन के अंदर ड्रिप सिंचाई से पानी लगा सकते हैं. ध्यान रखें कि फसल में पानी का जमाव ना हो. आप इस तरह इसकी खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।