लीची की खेती से किसान बन जायेंगे धन्नासेठ , जाने कैसे करे इसकी खेती

लीची की खेती से किसान बन जायेंगे धन्नासेठ , जाने कैसे करे इसकी खेती नमस्कार दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही शानदार खेती के बारे में बताने वाले हैं आज हम इस आर्टिकल में आपको लीची की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आपको बता दे कि इसकी खेती बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ उड़ीसा पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश में खासकर की जाती है साथ ही जम्मू कश्मीर आश्रम उत्तरांचल में भी खेती होती है।

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खास कर की खेती के बारे में तो आपको बता दे की नीचे में कई तरह के रोग हो जाते हैं जिनके बचाव के लिए हमें ध्यान रखना होता है आपको बता दे की कीटों से इन्हें बहुत ही नुकसान होता है आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कल आने के साथ ही इसमें कीटो और रोगों का भी प्रकोप शुरू हो जाता है ऐसे में नीचे उत्पादक किसानों को रोकथाम के उपाय करने चाहिए आर्थिक नुकसान से बचा जा सके आज हम आपको इसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं

लीची की खेती से किसान बन जायेंगे धन्नासेठ , जाने कैसे करे इसकी खेती

चलिए बात करते हैं इसमें होने वाले रोगों के बारे में आपको बता दे की लीची में झुलसा रोग बहुत ही ज्यादा फैलता है इसकी रोकथाम करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है इसे किसी की फसल को काफी ज्यादा नुकसान होता है गर्मियों में अधिक तापमान के कारण इसी में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है इस रोग के कारण ऋषि की पत्तियां और गोबलेट उच्च तापमान के कारण रखने लगते हैं इसका उपचार जल्दी से जल्दी करना चाहिए।

चलिए इस रोग के लक्षण के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं लिपि में इसके बहू से लक्षण दिखते हैं इस रोग से पौधों की नई पत्तियां और वैलेंट प्लस जाती है साथ ही पट्टी के सरे पर उत्तक को अमृत होने से बुरे धब्बे के रूप में यह दिखाता है जिसका पहला धीरे-धीरे पूरी बटी पर फैल जाता है रोक के बढ़ने पर टहनियां के ऊपरी से भी थोड़े से दिखाई देने लगते हैं अगर जल्द ही इसका उपचार नहीं किया गया तो फसल आपकी खराब भी हो सकती है।

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चलिए अब जानते हैं कि इस रोड से आप अपनी फसल को किस प्रकार बचा सकते हैं अगर आपको इसकी रोकथाम के उपाय जानना है तो यह खबर आपके लिए है इस रूप से बचने के लिए किस बैंक को जब या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव करना चाहिए जिससे यह रोग बहुत ही तेजी से कम होता है इसके रोकथाम के लिए आपको कार्बेंडाजिम 50% WP या क्लोरोथैलोनिल 75%WP 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव करना चाहिए जिससे यहां रोग खत्म हो जाता है और आपकी फसल बच जाती है।

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